8.27.2016

सौरमंडल

● सौरमंडल में कुल कितने ग्रह हैं— 8
● सूर्य के चारों ओर घूमने वाले पिंड को क्या कहते हैं— ग्रह
● किसी ग्रह के चारों ओर घूमने वाले पिंड को क्या कहते हैं— उपग्रह
● ग्रहों की गति के नियम का पता किसने लगाया— केपलर
● अंतरिक्ष में कुल कितने तारा मंडल हैं— 89
● सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह कौन-सा है— बृहस्पति
● सौरमंडल का जन्मदाता किसे कहा जाता है— सूर्य को
● कौन-से ग्रह सूर्य के चारों ओर दक्षिणावर्त घूमते हैं— शुक्र व अरुण
● ‘निक्स ओलंपिया कोलंपस पर्वत’ किस ग्रह पर है— मंगल
● ब्रह्मांड में विस्फोटी तारा क्या कहलाता है— अभिनव तारा
● सौरमंडल की खोज किसने की— कॉपरनिकस
● प्राचीन भारतीय सूर्य को क्या मानते थे— ग्रह
● सूर्य कौन-सी गैस का गोला है— हाइड्रोजन व हीलियम
● सूर्य के मध्य भाग को क्या कहते हैं— प्रकाश मंडल
● किस देश र्में अरात्रि को सूर्य दिखाई देता है— नॉर्वे
● सूर्य से ग्रह की दूरी को क्या कहा जाता है— उपसौर
● सूर्य के धरातल का तापमान लगभग कितना है— 6000°C
● मध्य रात्रि का सूर्य किस क्षेत्र में दिखाई देता है— आर्कटिक क्षेत्र में
● सूर्य के रासायनिक संगठन में हाइड्रोजन का % कितना है— 71%
● कौन-सा ग्रह सूर्य के सबसे निकट है— बुध
● बुध ग्रह सूर्य का एक चक्कर लगाने में कितना समय लेता है— 88 दिन
● सूर्य से सबसे दूर कौन-सा ग्रह है— वरुण
● कौन-से ग्रह जिनके उपग्रह नहीं हैं— बुध व शुक्र
● कौन-सा ग्रह सूर्य का चक्कर सबसे कम समय में लगाता है— बुध
● किस ग्रह को पृथ्वी की बहन कहा जाता है— शुक्र
● किस ग्रह पर जीव रहते हैं— पृथ्वी
● पृथ्वी का उपग्रह कौन है— चंद्रमा
● पृथ्वी अपने अक्ष पर एक चक्कर कितने दिन में लगाती है— 365 दिन 5 घंटा 48 मिनटर 46 सेकेंड
● पृथ्वी को नीला ग्रह क्यो कहा जाता है— जल की उपस्थिति के कारण
● किस उपग्रह को जीवाश्म ग्रह कहा जाता है— चंद्रमा को
● चंद्रमा क्या है— उपग्रह
● पृथ्वी से चन्द्रमा का कितना भाग देख सकते हैं— 57%
● उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे बड़ा दिन कौन-सा है— 21 जून
● किस तिथि को रात-दिन बराबर होते हैं— 21 मार्च व 22 सितंबर
● सूर्य द्वारा ऊर्जा देते रहने का समय कितना है— 1011 वर्ष
● सौरमंडल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी कौन-सा है— ओलिपस मेसी
● अरुण ग्रह की खोज कब हुई— 1781 ई.
● पृथ्वी द्वारा सूर्य की एक परिक्रमा को क्या कहते हैं— सौर वर्ष
● पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन का क्या कारण है— अक्ष पर झुकी होने के कारण
● प्लूटो ग्रह की मान्यता कब समाप्त की गई— 24 अगस्त, 2006 को
● चंद्रमा पृथ्वी की एक परिक्रमा कितने समय में लगाता है— 27 दिन 8 घंटा
● ज्वार भाटा की स्थिति में सबसे अधिक प्रभाव किसका होता है— चंद्रमा का
● ज्वार भाटा किसके कारण आता है— सूर्य व चंद्रमा के अपकेंद्र व आकर्षण बल के कारण
● चंद्र ग्रहण कब होता है— पूर्णिमा को
● सूर्य ग्रहण कब होता है— अमावस्या को
● कौन-सा खगोलीय पिंड ‘रात की रानी’ कहा जाता है— चंद्रमा
● नंगी आँखों द्वारा किस ग्रह को देख सकते हैं— शनि ग्रह
● यूरेनस की खोज किसने की— हर्शेल ने
● सूर्य ग्रहण का क्या कारण है— चंद्रमा के सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाने के कारण सूर्य का दिखाई न देना
● चंद ग्रहण कैसे होता है— जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है तो पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है जिससे चंद्रमा दिखाई नहीं देता है
● ‘सौंदर्य का देव’ किस ग्रह को कहा जाता है— शुक्र ग्रह को
● पृथ्वी सूर्य से सबसे अधिक दूर कब होती है— 4 जुलाई को
● पृथ्वी सूर्य के सबसे निकट कब होती है— 3 जनवरी
● पृथ्वी अपने अक्ष पर किस दिशा में घूमती है— पश्चिम से पूर्व की ओर
● रात व दिन होने का क्या कारण है— पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमना
● भू-कक्ष तल पर भू-अक्ष का झुकाव कितना होता है— 66 1/2°
● सूर्य सौरमंडल का केंद्र है और पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है, यह पता सर्वप्रथम किसने लगाया— कॉपरनिकस
● सर्वप्रथम पृथ्वी की त्रिज्या किस वैज्ञानिक ने मापी— इरैटोस्थनीज
● पृथ्वी की तरह किस ग्रह पर जीवन की संभावना है— मंगल ग्रह
● बृहस्पति ग्रह की खोज किस वैज्ञानिक ने की— गैलीलियो
● कौन-सा ग्रह हरा प्रकाश उत्सर्जित करता है— वरूण
● ‘सी ऑफ ट्रंक्विलिटी’ कहाँ स्थित है— चंद्रमा पर
● चंद्रमा के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँचने में कितलर समय लगता है— 2 सेकेंड से कम
● किस आकाशीय पिंड को ‘पृथ्वी पुत्र’ कहा जाता है— चंद्रमा
● हैली घूमकेतू का आवर्त काल कितना है— 76 वर्ष
● मंगल और बृहस्पति ग्रहों के मध्य सूर्य की परिक्रमा करने वाले पिंडों को क्या कहते हैं— क्षुद्रग्रह
● पूर्ण सूर्य ग्रहण के समय सूर्य का कौन-सा भाग दिखाई देता है— किरीट
● एक कलेंडर वर्ष में अधिकतम कितने ग्रहण हो सकते हैं— 7
● पृथ्वी और

भारत का भूगोल

● क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का विश्व में कौन-सा स्थान है— सातवाँ
● जनसंख्या की दृष्टि से भारत का विश्व में कौन-सा स्थान है— दूसरा
● भारत के उत्तर में कौन-कौन-से देश हैं— चीन, नेपाल, भूटान
● भारत के पूर्व में कौन-सा देश है— बांग्लादेश
● भारत के पश्चिम में कौन-सा देश है— पाकिस्तान
● भारत के दक्षिण पश्चिम में कौन-सा सागर है— अरब सागर
● भारत के दक्षिण-पूर्व में कौन-सी खाड़ी है— बंगाल की खाड़ी
● भारत के दक्षिण में कौन-सा महासागर है— हिन्द महासागर
● पूर्वांचल की पहाड़ियाँ भारत को किस देश से अलग करती हैं— म्यांमार से
● मन्नार की खाड़ी और पाक जलडमरूमध्य भारत को किस देश से अलग करते हैं— श्रीलंका से
● संपूर्ण भारत की अंक्षाशीय विस्तार कितना है— 8° 4’ से 37°6’ उत्तरी अक्षांश
● भारत के मध्य से कौन-सी रेखा गुजरती है— कर्क रेखा
● भारत के उत्तर से दक्षिण तक विस्तार कितना है— 3214 किमी
● भारत का पूर्व से पश्चिम तक विस्तार कितना है— 2933 किमी
● अंडमान-निकोबार द्वीप समूह कहाँ स्थित है— बंगाल की खाड़ी में
● लक्षद्वीप कहाँ स्थित है— अरब सागर में
● भारत का दक्षिणी छोर क्या कहलाता है— इंदिरा प्वाइंट
● इंदिरा प्वांइट को किस दूसरे नाम से भी जाना जाता है— पिगमिलियन प्वाइंट
● भारत का क्षेत्रफल विश्व के क्षेत्रफल का कितना है— 2. 42%
● विश्व की कुल जनसंख्या का कितने % भारत में निवास करता है— 17%
● भारत का कुल क्षेत्रफल कितना है— 32,87,263 वर्ग किसमी
● भारत की स्थल सीमा से कौन-से देश लगे हैं— बांग्लादेश, चीन, पाकिस्तान, नेपाल, वर्मा, भूटान
● भारत की जल सीमा किन देशों से मिलती है— मालदीव, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार व पाकिस्तान
● कर्क रेखा किन राज्यों से होकर गुजरती है— राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिमी बंगाल, त्रिपुरा और मिजोरम
● भारत की मुख्य भूमि की दक्षिणी सीमा कितने अक्षांश है— 8°4’
● भारत का मानक समय कहाँ से लिया गया है— इलाहाबाद के निकट नैनी नामक स्थान से
● भारत के मानक समय और ग्रीनविच समय में कितना अन्तर है— 5 1/2
● भूमध्य रेखा से भारत के दक्षिण छोर की दूरी कितनी है— 876 किमी
● भारत की स्थल सीमा की लंबाई कितनी है— 15200 किमी
● भारत की मुख्य भूमि की तटरेखा की लंबाई कितनी है— 6100 किमी
● भारत की कुल तटरेखा की लंबाई (द्वीप समूहों सहितद्ध कितनी है— 7516 किमी
● संपूर्ण भारत के कितने % भाग पर पर्वत व पहाड़ियों का विस्तार है— 28.8%
● संपूर्ण भारत के कितने क्षेत्रफल पर मैदानी विस्तार है— 44%
● भारत में समुद्र तटरेखा वाले राज्यों की संख्या कितनी है— 9
● किस राज्य की समुद्र तटरेखा सबसे लंबी है— गुजरात
● कर्क रेखा भारत के कितने राज्यों से होकर जाती है— 8
● भूमध्य रेखा के निकट कौन-सा स्थान है— इंदिरा प्वाइंट
● इंदिरा प्वाइंट कहाँ स्थित है— अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में
● किस राज्य की समुद्र तटरेखा सबसे छोटी है— गोवा
● भारत की स्थल सीमा किस देश के साथ सबसे ज्यादा है— बांग्लादेश के साथ
● भारत का कौन-सा भू-आकृतिक भाग प्राचीन है— प्रायद्वीपीय पठार
● भारत के पूर्वी समुद्र तट को किस नाम से जाना जाता है— कोरोमंडल तट
● कोंकण तट कहाँ से यहाँ तक स्थित है— गोवा से दमन तक
● लक्षद्वीप समूह के द्वीपों की उत्पत्ति किसके द्वारा हुई— प्रवाल द्वारा
● न्यू मूर द्वीप कहाँ स्थित है— अंडमान सागर में
● कौन-सा द्वीप भारत और श्रीलंका के बीच में स्थित है— रामेश्वरम्
● लक्षद्वीप समूह के कुल द्वीपों की संख्या कितनी है— 36
● लक्षद्वीप समूह में कुल कितने द्वीपों पर मानव का वास है— 10
● भारत के किस स्थान को ‘सफेद पानी’ के नाम से जाना जाता है— सियाचिन
● जम्मू-कश्मीर का वह हिस्सा जो चीन के अधिकार में है, क्या कहलाता है— ऑक्साई चीन
● भारत में शीत मरूस्थल कौन-सा है— लद्दाख
● भारत की देशांतर स्थिति क्या है— 68°7’ से 97°25’ तक
● भारत में कितने केंद्रशासित प्रदेश हैं— 7
● किस देश के साथ न्यू मूर द्वीप के कारण भारत का विवाद है— बांग्लादेश के साथ
● भारत किस गोर्ला में स्थित है— उत्तरी
● केंद्रशासित प्रदेश दादर नगर हवेली भारत के किन राज्यों के बीच में स्थित है— गुजरात व महाराष्ट्र
● किस राज्य को पहले NEFA के नाम से जाना जाता था— अरुणाचल प्रदेश
● केंद्रशासित प्रदेश अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर किस द्वीप पर स्थित है— दक्षिण अंडमान
● कौन-सा राज्य उत्तरी पूर्वी राज्य की ‘सात बहनों’ का भाग नहीं है— सिक्किम व पश्चिमी बंगाल
● कौन-सा महत्वपूर्ण अक्षांश भारत को दो भागों में बांटता है— 23°3’ उत्तर
● उत्तर भारत में उपहिमालय क्षेत्र के सहारे फैले समतल मैदान क्या कहलाते हैं— भावर
● कोरी निवेशिका कहाँ स्थित है— कच्छ का

भारतीय संविधान की धारायें

● भारतीय संविधान में कुल कितने अनुच्छेद हैं— 444
● भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में यह लिखा है कि भारत राज्यों का एक संघ होगा— अनुच्छेद-1
● किस अनुच्छेद में नागरिकों को मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं— अनुच्छेद 12-35
● किस अनुच्छेद में नागरिकता संबंधी प्रावधान है— अनुच्छेद 5-11
● नौकरियों तथा शैक्षणिक संस्थाओं में समाज के कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार को कौन-सा अनुच्छेद अधिकार प्रदान करता है—  अनुच्छेद-16
● संविधान के किस अनुच्छेद में राज्य में नीति-निर्देशक तत्वों का उल्लेख है— अनुच्छेद 36-51
● भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में कल्याणकारी राज्य की अवधारणा वर्णित है— अनुच्छेद-39
● संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत भारत में राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाया जा सकता है— अनुच्छेद-61
● किस अनुच्छेद में मंत्रिगण सामूहिक रुप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होते हैं— अनुच्छेद-75
● महान्यायवादी की नियुक्ति किस अनुच्छेद के अंतर्गत की जाती है— अनुच्छेद-76
● संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत राष्ट्रपति लोकसभा भंग कर सकता है— अनुच्छेद-85
● किस अनुच्छेद में संसद के संयुक्त अधिवेशन का प्रावधान है— अनुच्छेद-108
● संविधान के किस अनुच्छेद में धन विधेयक की परिभाषा दी गई है— अनुच्छेद-110
● संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत राष्ट्रपति अध्यादेश जारी करता है— अनुच्छेद-123
● संविधान के किस अनुच्छेद में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश पर महाभियोग चलाया जा सकता है— अनुच्छेद-124
● राष्ट्रपति किस अनुच्छेद के अंतर्गत सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श मांग सकता है— अनुच्छेद-233
● किस अनुच्छेद के अंतर्गत केंद्र के पास अवशिष्ट शक्तियाँ है— अनुच्छेद-248
● किस अनुच्छेद में अंतर्राष्ट्रीय समझौते लागू करने के लिए शक्ति प्रदान की गई है— अनुच्छेद-253
● किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति वित्त आयोग का गठन करता है— अनुच्छेद-280
● संपत्ति का अधिकार किस अनुच्छेद में है— अनुच्छेद-300 (क)
● संविधान के किस अनुच्छेद में संघ और राज्यों के लिए लोकसेवा आयोग का प्रावधान है— अनुच्छेद-315
● किस अनुच्छेद के अंतर्गत हिन्दी भाषा को राजकीय भाषा घोषित किया गया है— अनुच्छेद-343 (I)
● संविधान के किस अनुच्छेद के तहत अनुसूचित जनजातियों के लिए एक राष्ट्रीय आयोग के गठन का प्रावधान है— अनुच्छेद-338 (A)
● संसद को संविधान संशोधन का अधिकार किस अनुच्छेद में है— अनुच्छेद-368
● संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत संविधान की प्रक्रिया का उल्लेख है— अनुच्छेद-356
● संविधान के किस अनुच्छेद में ‘मंत्रिमंडल’ शब्द का प्रयोग संविधान में एक बार हुआ है— अनुच्छेद-352
● जम्मू-कश्मीर को किस अनुच्छेद के अंतर्गत विशेष दर्जा प्राप्त है— अनुच्छेद-370
● अनुच्छेद-356 का संबंध किससे है— राष्ट्रपति शासन से
● भारतीय संविधान में समानता का अधिकार पाँच अनुच्छेदों द्वारा प्रदान किया गया है, वे कौन-से हैं— अनुच्छेद-14-18
● संविधान के किस अनुच्छेद में मूल कर्तव्यों का उल्लेख है— अनुच्छेद-51 (क)
● ‘भारत के नागरिक का कर्तव्य होगा प्राकृतिक पर्यावरण का संरक्षण एवं सुधार’ यह कथन किस अनुच्छेद में है— अनुच्छेद-(A)
● संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत राज्य सरकार को ग्राम पंचायत के संगठन का निर्देश दिया गया है— अनुच्छेद-40
● वर्तमान में संविधान में कितनी अनुसूचियाँ हैं— 12
● संविधान की द्वितीय अनुसूची का संबंध किस से है— महत्वपूर्ण पद अधिकारियों के वेतन-भत्तों से
● कौन-सी अनुसूची में 22 भाषाओं को मान्यता दी गई है— आठवीं अनुसूची
● दल-बदल के आधार पर निर्वाचित सदस्यों की अयोग्यता संबंधी विवरण किस अनुसूची में है— 10वीं अनुसूची
● संविधान की छठी अनुसूची किस राज्य में लागू नहीं होता है— मणिपुर
● किस राज्य के आरक्षण विधेयक को 9वीं अनुसूची में सम्मिलिति किया गया है— तमिलनाडु
● भारतीय संविधान की कौन-सी अनुसूची राज्य में नामों की सूची तथा राज्य क्षेत्रों का ब्यौरा देती है— पहली अनुसूची
● भारतीय संविधान में 9वीं अनुसूची परिवर्तित हुई— प्रथम संशोधन द्वारा
● किस अनुच्छेद के अंतर्गत उपराष्ट्रपति पद की व्यवस्था है— अनुच्छेद-63
● वित्तीय आपात की घोषणा किस अनुच्छेद के अंतर्गत होती है— अनुच्छेद-360
● राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग का गठन किस अनुच्छेद के अंतर्गत किया जाता है— अनुच्छेद-340
● किस अनुसूची में केंद्र व राज्यों के बीच शक्तियों के बंटवारे का वर्णन है— सातवीं अनुसूची में
● समवर्ती सूची किस राज्य में संबंधित नहीं है— जम्मू-कश्मीर से
● संविधान लागू होने के समय समवर्ती सूची में कितने विषय थे— 47 विषय
● वर्तमान में राज्य सूची में कितने विषय हैं— 66 विषय
● वर्तमान में संघ सूची में कितने विषय हैं— 97 विषय

हिंदी व्याकरण छंद

छन्द क्या है?

यति, गति, वर्ण या मात्रा आदि की गणना के विचार से की गई रचना छन्द अथवा पद्य कहलाती है।

चरण या पद – छन्द की प्रत्येक पंक्ति को चरण या पद कहते हैं। प्रत्येक छन्द में उसके नियमानुसार दो चार अथवा छः पंक्तियां होती हंै। उसकी प्रत्येक पंक्ति चरण या पद कहलाती हैं। जैसे –
रघुकुल रीति सदा चलि जाई।
प्राण जाहिं बरू वचन न जाई।।
उपयुक्त चौपाई में प्रथम पंक्ति एक चरण और द्वितीय पंक्ति दूसरा चरण हैं।

मात्रा – किसी वर्ण के उच्चारण में जो समय लगता है, उसे 'मात्रा' कहते हैं। 'मात्राएँ' दो प्रकार की होती हैं –
(१) लघु । (२) गुरू S

लघु मात्राएँ – उन मात्राओं को कहते हैं जिनके उच्चारण में बहुत थोड़ा समय लगता है। जैसे – अ, इ, उ, अं की मात्राएँ ।

गुरू मात्राएँ – उन मात्राओं को कहते हैं जिनके उच्चारण में लघु मात्राओं की अपेक्षा दुगुना अथवा तिगुना समय लगता हैं। जैसे – ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ की मात्राएँ।

लघु वर्ण – ह्रस्व स्वर और उसकी मात्रा से युक्त व्यंजन वर्ण को 'लघु वर्ण' माना जाता है, उसका चिन्ह एक सीधी पाई (।) मानी जाती है।

गुरू वर्ण – दीर्घ स्वर और उसकी मात्रा से युक्त व्यंजन वर्ण को 'गुरू वर्ण' माना जाता है। इसकी दो मात्राएँ गिनी जाती है। इसका चिन्ह (ऽ) यह माना जाता है।
उदाहरणार्थ –
क, कि, कु, र्क – लघु मात्राएँ हैं।
का, की, कू , के , कै , को , कौ – दीर्घ मात्राएँ हैं।

मात्राओं की गणना
(१) संयुक्त व्यन्जन से पहला ह्रस्व वर्ण भी 'गुरू अर्थात् दीर्घ' माना जाता है।
(२) विसर्ग और अनुस्वार से युक्त वर्ण भी "दीर्घ" जाता माना है। यथा – 'दुःख और शंका' शब्द में 'दु' और 'श' ह्रस्व वर्ण होंने पर भी 'दीर्घ माने जायेंगे।
(३) छन्द भी आवश्यकतानुसार चरणान्त के वर्ण 'ह्रस्व' को दीर्घ और दीर्घ को ह्रस्व माना जाता है।

यति और गति

यति – छन्द को पढ़ते समय बीच–बीच में कहीं कुछ रूकना पड़ता हैं, इसी रूकने के स्थान कों गद्य में 'विराग' और पद्य में 'यति' कहते हैं।
गति – छन्दोबद्ध रचना को लय में आरोह अवरोह के साथ पढ़ा जाता है। छन्द की इसी लय को 'गति' कहते हैं।
तुक – पद्य–रचना में चरणान्त के साम्य को 'तुक' कहते हैं। अर्थात् पद के अन्त में एक से स्वर वाले एक या अनेक अक्षर आ जाते हैं, उन्हीं को 'तुक' कहते हैं।
तुकों में पद श्रुति, प्रिय और रोंचक होता है तथा इससे काव्य में लथपत सौन्दर्य आ जाता है।

गण
तीन–तीन अक्षरो के समूह को 'गण' कहते हैं। गण आठ हैं, इनके नाम, स्वरूप और उदाहरण नीचे दिये जाते हैं : –

नाम स्वरूप   उदाहरण   सांकेतिक
यगण ।ऽऽ वियोगी
मगण ऽऽऽ मायावी मा
तगण ऽऽ। वाचाल ता
रगण ऽ।ऽ बालिका रा
जगण ।ऽ। सयोग
भगण ऽ।। शावक भा
नगण ।।। कमल
सगण ।।ऽ सरयू
निम्नांकित सूत्र गणों का स्मरण कराने में सहायक है –
"यमाता राजभान सलगा"
इसके प्रत्येक वर्ण भिन्न–भिन्न गणों परिचायक है, जिस गण का स्वरूप ज्ञात करना हो उसी का प्रथम वर्ण इसी में खोजकर उसके साथ आगे के दो वर्ण और मिलाइये, फिर तीनों वर्णों के ऊपर लघु–गुरू मात्राओं के चिन्ह लगाकर उसका स्वरूप ज्ञात कर लें। जैसे –
'रगण' का स्वरूप जानने के लिए 'रा' को लिया फिर उसके आगे वाले 'ज' और 'भा' वर्णों को मिलाया। इस प्रकार 'राज भा' का स्वरूप 'ऽ।ऽ' हुआ। यही 'रगण' का स्वरूप है।

छन्दों के भेद
छन्द तीन प्रकार के होते हैं –
(१) वर्ण वृत्त – जिन छन्दों की रचना वर्णों की गणना के नियमानुसार होती हैं, उन्हें 'वर्ण वृत्त' कहते हैं।
(२) मात्रिक – जिन छन्दों के चारों चरणों की रचना मात्राओं की गणना के अनुसार की जाती है, उन्हें 'मात्रिक' छन्द कहते हैं।
(३) अतुकांत और छंदमुक्त – जिन छन्दों की रचना में वर्णों अथवा मात्राओं की संख्या का कोई नियम नहीं होता, उन्हें 'छंदमुक्त काव्य कहते हैं। ये तुकांत भी हो सकते हैं और अतुकांत भी।

प्रमुख मात्रिक छंद-

(१) चौपाई
चौपाई के प्रत्येक चरण में १६ मात्राएँ होती हैं तथा चरणान्त में जगण और तगण नहीं होता।

उदाहरण   देखत भृगुपति बेषु कराला।
ऽ-।-।  ।-।-।-।  ऽ-।- ।-ऽ-ऽ (१६ मात्राएँ)
उठे सकल भय बिकल भुआला।
।-ऽ ।-।-।  ।-।  ।-।-।  ।-ऽ-ऽ (१६ मात्राएँ)
पितु समेत कहि कहि निज नामा।
।-।  ।-ऽ-।  ।-।  ।-।  ।-।   ऽ-ऽ (१६ मात्राएँ)
लगे करन सब दण्ड प्रनामा।
।-ऽ ।-।-।  ।-।  ऽ-।  ऽ-ऽ-ऽ (१६ मात्राएँ)
(२) रोला
रोला छन्द में २४ मात्राएँ होती हैं। ग्यारहवीं और तेरहवीं मात्राओं पर विराम होता है। अन्त मे दो गुरू होने चाहिए।
उदाहरण –
'उठो–उठो हे वीर, आज तुम निद्रा त्यागो।
करो महा संग्राम, नहीं कायर हो भागो।।
तुम्हें वरेगी विजय, अरे यह निश्चय जानो।
भारत के दिन लौट, आयगे मेरी मानो।।
ऽ-।-।  ऽ ।-।  ऽ-।  ऽ-।-ऽ  ऽ-ऽ  ऽ-ऽ (२४ मात्राएँ)

(३) दोहा
इस छन्द के पहले तीसरे चरण में १३ मात्राएँ और दूसरे–चौथे चरण में ११ 

हिंदी व्याकरण रस

रस - काव्य को पढ़ते या सुनते समय हमें जिस आनन्द की अनुभूति होती है ,उसे ही रस कहा जाता है ! रसों की संख्या नौ मानी गई हैं !

    रस का नाम                          स्थायीभाव

1- श्रृंगार                                 - रति
2- वीर                                    - उत्साह
3- रौद्र                                    - क्रोध
4- वीभत्स                               - जुगुप्सा ( घृणा )
5- अदभुत                               - विस्मय
6- शान्त                                 - निर्वेद
7- हास्य                                 - हास
8- भयानक                             - भय
9- करुण                                 - शोक



( इनके अतिरिक्त दो रसों की चर्चा और होती है )-

10- वात्सल्य                           - सन्तान विषयक रति
11- भक्ति                                - भगवद विषयक रति

हिंदी व्याकरण अलंकार



अलंकार -  " काव्य की शोभा बढ़ाने वाले तत्व अलंकार कहे जाते हैं ! "

अलंकार के तीन भेद हैं -

1. शब्दालंकार -  ये शब्द पर आधारित होते हैं ! प्रमुख शब्दालंकार हैं -  अनुप्रास , यमक , शलेष , पुनरुक्ति , वक्रोक्ति  आदि !

2. अर्थालंकार -  ये अर्थ पर आधारित होते हैं !  प्रमुख अर्थालंकार हैं -  उपमा , रूपक , उत्प्रेक्षा, प्रतीप , व्यतिरेक , विभावना , विशेषोक्ति ,अर्थान्तरन्यास , उल्लेख , दृष्टान्त, विरोधाभास , भ्रांतिमान  आदि !

3.उभयालंकार- उभयालंकार शब्द और अर्थ दोनों पर आश्रित रहकर दोनों को चमत्कृत करते हैं!

1- उपमा - जहाँ गुण , धर्म या क्रिया के आधार पर उपमेय की तुलना उपमान से की जाती है  
     जैसे -
              हरिपद कोमल कमल से  ।

हरिपद ( उपमेय )की तुलना कमल ( उपमान ) से कोमलता के कारण की गई ! अत: उपमा अलंकार है !

2-  रूपक - जहाँ उपमेय पर उपमान का अभेद आरोप किया जाता है ! जैसे -

                   अम्बर पनघट में डुबो रही ताराघट उषा नागरी  ।

आकाश रूपी पनघट में उषा रूपी स्त्री तारा रूपी घड़े डुबो रही है ! यहाँ आकाश पर पनघट का , उषा पर स्त्री का और तारा पर घड़े का आरोप होने से रूपक अलंकार है !

3- उत्प्रेक्षा - उपमेय में उपमान की कल्पना या सम्भावना होने पर उत्प्रेक्षा अलंकार होता है !
     जैसे -
                मुख मानो चन्द्रमा है ।

यहाँ मुख ( उपमेय ) को चन्द्रमा ( उपमान ) मान लिया गया है ! यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है !
इस अलंकार की पहचान मनु , मानो , जनु , जानो शब्दों से होती है !

4- यमक - जहाँ कोई शब्द एक से अधिक बार प्रयुक्त हो और उसके अर्थ अलग -अलग हों वहाँ यमक अलंकार होता है ! जैसे -

                      सजना है मुझे सजना के लिए  ।

यहाँ पहले सजना का अर्थ है - श्रृंगार करना और दूसरे सजना का अर्थ - नायक शब्द दो बार प्रयुक्त है ,अर्थ अलग -अलग हैं ! अत: यमक अलंकार है !

5- शलेष - जहाँ कोई शब्द एक ही बार प्रयुक्त हो , किन्तु प्रसंग भेद में उसके अर्थ एक से अधिक हों , वहां शलेष अलंकार है ! जैसे -

              रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून  ।
              पानी गए न ऊबरै मोती मानस चून  ।।

यहाँ पानी के तीन अर्थ हैं - कान्ति , आत्म - सम्मान  और जल  ! अत: शलेष अलंकार है , क्योंकि पानी शब्द एक ही बार प्रयुक्त है तथा उसके अर्थ तीन हैं !

6- विभावना - जहां कारण के अभाव में भी कार्य हो रहा हो , वहां विभावना अलंकार है !जैसे -

                        बिनु पग चलै सुनै बिनु काना ।

वह ( भगवान ) बिना पैरों  के चलता है और बिना कानों के सुनता है ! कारण के अभाव में कार्य होने से यहां विभावना अलंकार है !

7- अनुप्रास -  जहां किसी  वर्ण की अनेक बार क्रम से आवृत्ति  हो वहां अनुप्रास अलंकार होता है ! जैसे -

                    भूरी -भूरी भेदभाव भूमि से भगा दिया  ।

' भ ' की आवृत्ति  अनेक बार होने से यहां अनुप्रास अलंकार है !

8- भ्रान्तिमान - उपमेय में उपमान की भ्रान्ति होने से और तदनुरूप क्रिया होने से भ्रान्तिमान अलंकार होता है ! जैसे -

नाक का मोती अधर की कान्ति से , बीज दाड़िम का समझकर भ्रान्ति से,
देखकर सहसा हुआ शुक मौन है,  सोचता है अन्य शुक यह कौन है ?

यहां नाक में तोते का और दन्त  पंक्ति में अनार के दाने का भ्रम हुआ है , यहां भ्रान्तिमान अलंकार है !

9- सन्देह - जहां उपमेय के लिए  दिए गए उपमानों में सन्देह बना रहे तथा निशचय न हो सके, वहां सन्देह अलंकार होता है !जैसे -

          सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है ।
          सारी ही की नारी है कि नारी की ही सारी है ।

10- व्यतिरेक - जहां कारण बताते हुए उपमेय की श्रेष्ठता उपमान से बताई गई हो , वहां व्यतिरेक अलंकार होता है !जैसे -

          का सरवरि तेहिं देउं मयंकू । चांद कलंकी वह निकलंकू ।।

मुख की समानता चन्द्रमा से कैसे दूं ? चन्द्रमा में तो कलंक है , जबकि मुख निष्कलंक है !

11- असंगति - कारण और कार्य में संगति न होने पर असंगति अलंकार होता है ! जैसे -

                      हृदय घाव मेरे पीर रघुवीरै ।

घाव तो लक्ष्मण के हृदय में हैं , पर पीड़ा राम को है , अत: असंगति अलंकार है !

12- प्रतीप - प्रतीप का अर्थ है उल्टा या विपरीत । यह उपमा अलंकार के विपरीत होता है । क्योंकि इस अलंकार में उपमान को लज्जित , पराजित या हीन दिखाकर उपमेय की श्रेष्टता बताई जाती है ! जैसे -

               सिय मुख समता किमि करै चन्द वापुरो रंक ।

सीताजी के मुख ( उपमेय )की तुलना बेचारा चन्द्रमा ( उपमान )नहीं कर सकता । उपमेय की श्रेष्टता प्रतिपादित होने से यहां प्रतीप अलंकार है !

13- दृष्टान्त - जहां उपमेय , उपमान और साधारण धर्म का बिम्ब -प्रतिबिम्ब भाव होता है,जैसे-
             बसै 

हिन्दी व्याकरण समास

समास -

दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से नए शब्द बनाने की क्रिया को समास कहते हैं !
सामासिक पद को विखण्डित करने की क्रिया को विग्रह कहते हैं !



समास के छ: भेद हैं -

1- अव्ययीभाव समास - जिस समास में पहला पद प्रधान होता है तथा समस्त पद अव्यय का काम करता है , उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं !जैसे -
      ( सामासिक पद )                     ( विग्रह )

1.      यथावधि                          अवधि के अनुसार  

2.      आजन्म                           जन्म पर्यन्त

3.      प्रतिदिन                           दिन -दिन

4.      यथाक्रम                           क्रम के अनुसार

5.      भरपेट                              पेट भरकर

2- तत्पुरुष समास -  इस समास में दूसरा पद प्रधान होता है तथा विभक्ति चिन्हों का लोप हो जाता है !  तत्पुरुष समास के छ: उपभेद विभक्तियों के आधार पर किए गए हैं -

1. कर्म तत्पुरुष

2. करण तत्पुरुष

3. सम्प्रदान तत्पुरुष

4. अपादान तत्पुरुष

5. सम्बन्ध तत्पुरुष

6. अधिकरण तत्पुरुष

- उदाहरण इस प्रकार हैं -

        ( सामासिक पद )                   ( विग्रह )                           ( समास )

1. कोशकार                          कोश को करने वाला               कर्म तत्पुरुष

2. मदमाता                          मद से माता                         करण तत्पुरुष

3. मार्गव्यय                    मार्ग के लिए व्यय                 सम्प्रदान तत्पुरुष

4. भयभीत                       भय से भीत                         अपादान तत्पुरुष

5. दीनानाथ                     दीनों के नाथ                        सम्बन्ध तत्पुरुष

6. आपबीती                 अपने पर बीती                      अधिकरण तत्पुरुष                          
3- कर्मधारय समास -  जिस समास के दोनों पदों में विशेष्य - विशेषण या उपमेय - उपमान सम्बन्ध हो तथा दोनों पदों में एक ही कारक की विभक्ति आये उसे कर्मधारय समास कहते हैं !  जैसे :-

       ( सामासिक पद )                 ( विग्रह )

1.      नीलकमल                     नीला है जो कमल

2.      पीताम्बर                       पीत है जो अम्बर

3.      भलामानस                    भला है जो मानस

4.      गुरुदेव                           गुरु रूपी देव

5.      लौहपुरुष                       लौह के समान ( कठोर एवं शक्तिशाली  ) पुरुष


4-  बहुब्रीहि समास -  अन्य पद प्रधान समास को बहुब्रीहि समास कहते हैं !इसमें दोनों पद किसी अन्य अर्थ को व्यक्त करते हैं और वे किसी अन्य संज्ञा के विशेषण की भांति कार्य करते हैं ! जैसे -
       ( सामासिक पद )               ( विग्रह )
1.      दशानन                        दश हैं आनन जिसके  ( रावण )
2.      पंचानन                        पांच हैं मुख जिनके    ( शंकर जी )
3.      गिरिधर                        गिरि को धारण करने वाले   ( श्री कृष्ण )
4.      चतुर्भुज                        चार हैं भुजायें जिनके  ( विष्णु )
5.      गजानन                       गज के समान मुख वाले  ( गणेश जी )

5-  द्विगु समास -  इस समास का पहला पद संख्यावाचक होता है और सम्पूर्ण पद समूह का बोध कराता है ! जैसे -      

         ( सामासिक पद )                  ( विग्रह )

1.        पंचवटी                           पांच वट वृक्षों का समूह

2.        चौराहा                            चार रास्तों का समाहार

3.        दुसूती                             दो सूतों का समूह

4.        पंचतत्व                          पांच तत्वों का समूह

5.        त्रिवेणी                           तीन नदियों  ( गंगा , यमुना , सरस्वती  ) का समाहार


6-  द्वन्द्व समास -  इस समास में दो पद होते हैं तथा दोनों पदों की प्रधानता होती है ! इनका विग्रह करने के लिए  ( और , एवं , तथा , या , अथवा ) शब्दों का प्रयोग किया जाता है !

     जैसे -

          ( सामासिक पद )                      ( विग्रह )

1.         हानि - लाभ                        हानि या लाभ

2.         नर - नारी                           नर और नारी

3.         लेन - देन                           लेना और देना

4.         भला - बुरा                          भला या बुरा

5.         हरिशंकर                            विष्णु और शंकर

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